विटामिन बी12 की कमी तब होती है जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में यह ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाता या फिर शरीर इसे सही ढंग से अवशोषित नहीं कर पाता। यह कमी धीरे-धीरे विकसित होती है और लंबे समय तक पता नहीं चल पाता। बी12 की कमी से खून की कमी (एनीमिया), तंत्रिका तंत्र की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में संतुलित आहार लेना हम अक्सर भूल जाते हैं। इसी कारण कई बार शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। उन्हीं में से एक है विटामिन बी12 (Vitamin B12)। यह विटामिन हमारे शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना कार के लिए ईंधन। अगर यह कमी हो जाए तो शरीर धीरे-धीरे कई समस्याओं का घर बन जाता है।
विटामिन बी12 की कमी क्यों होती है?
बी12 की कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण आहार संबंधी कमी है, खासकर उन लोगों में जो शाकाहारी या वीगन डाइट लेते हैं। इसके अलावा पाचन तंत्र की समस्याएं जैसे – गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी, क्रोहन डिज़ीज़, या पेट में एसिड का कम बनना भी इसकी वजह हो सकते हैं।
एक और कारण है दवाइयों का लगातार सेवन, जैसे डायबिटीज की दवा (मेटफॉर्मिन) या एंटासिड्स। साथ ही, शराब और धूम्रपान की आदतें भी शरीर की अवशोषण क्षमता को प्रभावित करती हैं, जिससे बी12 की कमी होने लगती है।
विटामिन बी12 की कमी मुख्य रूप से इन कारणों से होती है:
खानपान की कमी – पशु-आधारित भोजन न लेना।
अवशोषण की समस्या – आंत और पेट की बीमारी।
उम्र का बढ़ना – बुजुर्गों में पाचन क्षमता कमजोर होना।
दवाइयों का असर – खासकर एंटासिड और डायबिटीज की दवाइयां।
जीवनशैली की आदतें – शराब, धूम्रपान और असंतुलित आहार।
जब शरीर में विटामिन बी12 की मात्रा कम हो जाती है, तो सबसे पहले असर खून पर पड़ता है। लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटने लगती है, जिससे एनीमिया हो जाता है। इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और व्यक्ति हमेशा थका हुआ और कमजोर महसूस करता है।
इसके अलावा, तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है। हाथ-पैरों में झुनझुनी, सुन्नपन, संतुलन बिगड़ना, और भूलने की समस्या बढ़ सकती है। लंबे समय तक कमी रहने पर मानसिक रोग जैसे डिमेंशिया और डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।
लगातार थकान रहना, चाहे नींद पूरी क्यों न हो।
हल्की गतिविधि में भी सांस फूलना।
चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना।
हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन रहना।
अगर लंबे समय तक विटामिन बी12 की कमी बनी रहे तो तंत्रिका तंत्र को स्थायी नुकसान हो सकता है। इससे चलने-फिरने में दिक्कत, हाथ-पैरों की पकड़ कमजोर होना और गंभीर मानसिक रोग जैसे डिमेंशिया तक हो सकते हैं।
पर्निशियस एनीमिया (Pernicious Anemia) – यह खून की गंभीर समस्या है जिसमें शरीर पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता।
न्यूरोपैथी (Neuropathy) – नसों को नुकसान होना जिससे सुन्नपन और दर्द होता है।
डिमेंशिया (Dementia) – याददाश्त की कमी और दिमागी कार्यों में गिरावट।
दिल की बीमारियां – बी12 की कमी से होमोसिस्टीन का स्तर बढ़ता है जो हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ाता है।
थकान और क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम – हमेशा कमजोरी महसूस होना।
विटामिन बी12 की कमी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यह धीरे-धीरे शरीर को अंदर से कमजोर कर देता है। सही आहार, समय पर जांच और डॉक्टर की सलाह से आप इस कमी से बच सकते हैं। याद रखिए, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है, और विटामिन बी12 उसका अहम हिस्सा है।
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थकान, चक्कर आना और हाथ-पैरों में झुनझुनी इसके शुरुआती लक्षण हैं।
गंभीर कमी में इंजेक्शन जल्दी असर दिखाते हैं।
बच्चों में यह कमी विकास रुकने, कमजोरी और ध्यान की समस्या का कारण बन सकती है।
No. Most cases are due to diet, malabsorption, or autoimmune conditions like pernicious anemia. However, persistent deficiency with red-flag symptoms (weight loss, stomach pain, anemia unresponsive to treatment) should be investigated for possible cancer.